कलेक्टर की नौकरी छोड़ मंत्री बने ओपी चौधरी ने कहा - अच्छे लोग राजनीति में नहीं आते इसलिए बुरे लोग राज करते है...

रायगढ़। ओपी चौधी तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बाद ओपी चौधरी दूसरे आईएएस अफसर है जो कि कम उम्र में नौकरी छोड़कर छत्तीसगढ़ की सियासत में कम समय में अपनी अलग पाचान बनाई है। अजीत जोगी के बाद जोपी औधरी दूसरे आईएएस अफसर जिन्होंने तीसह की सियासत में कई पहचान। महज 36 साल की उम्र में आओपी चौधरी भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए। रामगढ़ के विधायक ओपी चौधरी अब छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साप सरकार में बने मंत्री।

महज 36 साल की उम्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) को नौकरी खेडकर राजनीति में आए रामगढ़ के विधायक ओपी चौधरी अब मंत्री बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब यह ज्ञानिक बंधनों से मुक्ति का पाकस कर रहे हैं। मंत्री बनने के बाद उसको जनता के लिए में एसस काम कर पाने के अफसर रहते हुए नहीं कर पाए।

चौधरी ने कहा कि वे चाणक्य के उस कथन से प्रभावित होकर राजनीति में आए हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि अच्छे लोगों के राजनीति में भाग नहीं लेने का काला दुष्परिणाम यह होता है कि बुरे लोग अभी लोगो या सामन करते हैं। इसलिए मैंने 13 साल के प्रशासनिक जीवन को छोड़ते हुए इस बड़ी चुनौती को स्वीकार किया और राजनीति में आया। उन्होंने कहा कि यह सच है कि आज राजनीति में अच्छे लोगों को आने की जरूरत है। रोक्टर इंजीनियर, वकील, आइएएस बनना आता है मगर लोकतंत्र की राजनीतिक व्यवस्था राजनीति में अच्छे लोगों की जरूरत है।

नीय है कि चौधरी प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बाद दूसरे आइएएस अफसर है सेक कम उम्र में नौकरी छोड़कर छतीसगढ़ की सियासत में 

अपनी पहचान बनाई है। जोगी भी आइएएस को नौकरी छोड़कर राजति में आए थे। अब चौधरी भी प्रशासनिक अनुभवों के बाद राजनीतिक दुनिया में बड़ा मुकाम सासित करने की ओर अग्रसर है। 2005 बैच के अधिकारी भौचरी केवल 22 साल में आइएएस बने। 2018 में जब ओपनकरी खेड़ी सिंह को सरकार में रायपुर में कलेक्टर थे। भाजपा में प्रवेश करच साल 2018 में खरसिया विभानसभा सीट से चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अभी रायगड़ से युनराव

जोते हैं। छत्तीसगढ़ के नवनियुक्त राज्य ससन के मंत्री ओपी चौधरी ने मिडिया से कोई चां के प्रमुख

सवाल: आप एवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत माने जाते हैं, आपकी उनके प्रति क्या सोच है?

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार में जिस तरह से कुरुओं के साथ हुआ। भर्तियों में जिस तरह अन्याय हुआ और घोटाला हुआ, उससे हम युवाओं को मुक्ति दिलाना चाहते है। प्रदेश की भर्तियों की परनाने की मेरी सोच है। युवाओं को यही कहना चाहूंगा किंवा सकारात्मक हे और मेहनत करें। उनके लिए यह सरकार मर्ग पतन करेगी। हमारी सरकार युवाओं के लिए समर्पित होकर काम करेगी।

सवाल: छत्तीसगढ़ में अब आप मंत्री होंगे, पहली प्राथमिकता क्या होगी ?

मोदी की गारंटी हमारी हम मुख्यमंत्री विष्णुदेव सायकी सरकार में उनके दिशा-

निर्देश के साथ प्रदेश में चल रहे माफिया राज को खत्म

आर्थिकांचे को खोखला कर दिया है। अब बेहतर वित्तीय प्रबंधन के सभी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचवारी।

सवाल: रायपुर के कलेक्टर रहते हुए आपने

आइएएस को नौकरी छोड़ी, क्या वजह थी? में शुरू में ही उतोयगह की सेवा करना बाहता था. अफसर रहते हुए बहुत सारी पद थी, इस बीच हमने बाणक्य का एक कथन पड़ा, जिस असर मेरे दिमाग में पहा। चाणक्य ने कहा था कि अच्छे लोगों के राजनीति में भाग नहीं लेने से पहला दुष्परिणाम होता है कि जो लोग अच्छे लोगों पर शासन करते है। मुझे लगता है कि लोकताकि व्यवस्था स्वतः ही सुधर जाएगी।

सवाल: आपके पास प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों अनुभव है, क्या अंतर पाते है?

मैंने 13 माल तक बतौर एपम की नौकरी में लोगों की सेवा की। प्रशासन में जो भी काम किया वह कार के दिशा-निर्देश में किकतंत्र में पालिटिक्स महत्वपूर्ण है और चुतियां बहुत है। पथरीले और टेड़े मेढ़े रास्ते है फिर भी लोकतंत्र में राजनीतिक में आने से हो ज्यादातर काम सकस होते हैं क्योंकि यहां प्रसनिक अफ की अपेक्षाक्त बधनमुक्त हो जाते हैं। मैंने भी राजनीति में आने को चुनौती को स्वीकार किया है क्योंकि सभी व्याको राजनैतिक व्यवस्था प्रभावित करती है।

सवाल: व्यप 2005 बैच के उस बैंड के अफसर है, अब मंत्री बने है। वति आइएएस अफसरों

को निर्देश देने में हिचक भी हो सकती है कैसे करेंगे

सबकुछ आपकी जिम्मेदारी पर निर्भर करता है। जन मैं आइएएस था तो मैंने अपने बरियों का सम्मान किया। उनके निर्देशों का पालन किया। आज मंत्री के पद पर आया हूं मुख्यमंत्री साथ समेत अन्य नेताओं केके साथ मेरी थी अलग जिम्मेदारी है। अब केबिनेट मंत्री के कप में मेरी जिम्मेदारी रहेगी।

सवालः प्रशासन में ग्रहकर भी जनता के लिए काम क्यों नहीं कर सकते है?

प्रशासन में काम करने का खेल होता है। से सोचतात की होती है उसका करने का काम होता है। उसी के हिसाब से प्रदेश की दिशा-दा तय होगी। पालिसी निर्धारण में कहीं न कहीं हस्तक्षेप होता है और जब हम स्वयं मंत्रिमंडल में हैं तो बंधनमुक्त कोकर काम करेंगे। जब प्रशासनिक अन्नों से आजाद होकर काम कर सकेंगे।

सवाल: आपका सफर बहुत संघर्षमय था और कलेक्टर बनने को कैसे प्रेरित हुए, अब कैसा

महसूस कर रहे हैं?

जब महजड़े सात साल का था पिता का निधन हो गया। मां कौशल्या जो कि चौथी पास थी. उन्होंने मुझे पन से ही प्रेरित किया। पाला-पोशा और बड़ा हुआ। मां के कारण हरेक विकास हुआ। एक बार कलेक्ट्रेट में गया और कलेक्टर के कामों से प्रभावित होकर मैंने भी अफसर बनने की कोशिश की और सफल हुन्छ। जीवन के हर हिस्से पर किया। अच्छे से फिसों के साथ दिये में अक्षएएम की तैयारी की। इसके बाद 13 साल तक आइएएम था। ईरका कर शुक्रगुजार हूं कि मुझे उतीसगढ़ में काम करने कामका अनीति में आकर काम कर सहा हूं। मंत्री पद को दनिबोध में देखना है।

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