भगवान वही जो सृष्टि नही दृष्टि बदल दे - पण्डित दीवान जी गुरुपूर्णिमा पर्व पर यजमान गण पहुँचेंगे पंचकोशी धाम फिंगेश्वर


 21 जुलाई 2024 को गुरुपूर्णिमा का पर्व पूरे भारत देश मे मनाया जाता है, व गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर अलग अलग क्षेत्रो में आयोजन होता हैं, लोग अपने अपने गुरु के द्वार पहुँचते हैं, गुरुपूर्णिमा में अपने गुरुवर से आशिर्वाद लेते हैं, गुरुपूर्णिमा के संदर्भ में पंचकोशी धाम फिंगेश्वर के श्रद्धेय कथा व्यास पंडित भूपेंद्र धर दीवान जी ने कहा कि गुरु पूर्णिमा को ही व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, भगवान व्यास नारायण जी का भी प्राकट्य दिवस है,जिन्होंने पंचम वेद महाभारत, चतुर्वेद व पुराणों सहित कई गर्न्थो की रचना की,
दीवान जी ने कहा - सद्गुरु के द्वारा सृष्टि नही दृष्टि बदली जाती है, माता पिता के द्वारा दो नेत्र प्रदान किये जाते हैं,भगवान भोलेनाथ जी के तीन नेत्र हैं,आप हम सब के दो ही नेत्र हैं, पर तीसरा नेत्र भी हमारे पास है,जिसे कहते हैं ज्ञान की दृष्टि जो समर्पित भाव को लेकर गुरुदेव जी के चरणों मे पूर्ण शरणागति को स्वीकार करने से गुरुदेव भगवान के द्वारा प्रदत्त की जाती है,
 जिसे ज्ञान चछु कहते हैं,गुरु के द्वारा सृष्टि नही दृष्टि बदली जाती हैं,जिस ज्ञान की प्राप्ति के पश्चात मोह उत्पन्न न हो दुखो का शमन हो जाय तथा परब्रम्ह अर्थात स्वयं के स्वरूप की अनुभूति हो जाय, ऐसा ज्ञान गुरु कृपा से ही प्राप्त हो सकता है, जो दिख रहा वही रूप है पर जो अनुभव का विषय है वही स्वरूप है, गुरु वही जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये, अज्ञानता को दूर कर ईश्वर के करीब ले जाय जो हमारे सूक्ष्म से सूक्ष्म दोषों का भान करा दे, हमारे जीवन को गुणों से पूर्ण कर हमें जगतगुरु भगवान श्री कृष्ण के श्री चरणों का भागी बना दे ऐसे सर्व समर्थ गुरु देव भगवान को मुझ दास का बारंबार प्रणाम गुरु पूर्णिमा पर्व पर आप सभी अपने गुरुदेव भगवान का सानिध्य व आशीर्वचन अवश्य प्राप्त करें, यह अनमोल पल होता है जब जीव गुरुदेव भगवान के चरणों मे हो..!

तो पण्डित जी ने गुरुपूर्णिमा का महत्व व गुरु महिमा का बखान कर सभी जनमानस को बता ही रहे हैं, गुरु जब तक ज्ञान नही देंगे, भगवान को प्राप्त करना संभव नही होता, भगवान तक पहुँचने का मार्ग गुरु ही दिखाते हैं...!

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